फिरूं हर गली, हर नगर में, फिरूं हर गली, हर नगर में,
मैं परिंदों-सा मुक्त, उन्मुक्त गगन को चाहता हूं। मैं परिंदों-सा मुक्त, उन्मुक्त गगन को चाहता हूं।
धरा स्वर्ग का बन जाएगी नंदन जब हो अमर भाव का रक्षाबंधन। धरा स्वर्ग का बन जाएगी नंदन जब हो अमर भाव का रक्षाबंधन।
अपने लिए भी जीना शुरू कर अपने लिए भी जीना शुरू कर। अपने लिए भी जीना शुरू कर अपने लिए भी जीना शुरू कर।
प्रेम पवित्र सा एक मिलता स्पर्श है, भावों के मिलन का दिखे विमर्श है। प्रेम में अनुभव प्रेम पवित्र सा एक मिलता स्पर्श है, भावों के मिलन का दिखे विमर्श है। प्रेम...
ऊपर वाले का नियम है, वो सिखलाता रहता है कभी बुरे, कभी अच्छे दिन दिखलाता रहता है, ऊपर वाले का नियम है, वो सिखलाता रहता है कभी बुरे, कभी अच्छे दिन दिखलाता रहता ...